आत्मरक्षा कवच
आत्मरक्षास्तोत्रकापाठ
ॐपरमेष्टिनमस्कारं ,सारंनवपदात्मकम् |
आत्मरक्षाकरंवज्रं ,पंजराभंस्मराम्यहम् | |
ॐनमोअरिहंताणं, शिरस्कम्शिरसिस्थितम् |
ॐनमोसव्वसिद्धाणं ,मुखेमुखपटंवरम् | |
ॐनमोआयरियाणं ,अंगरक्षातिशायिनी |
ॐनमोउवज्झायाणं ,आयुधंहस्तयोर्दृडम | |
ॐनमोलोएसव्वसाहुणं ,मोचकेपादयो: शुभे |
एसोपञ्चनमोक्कारो ,शिलावज्रमयितले | |
सव्वपावपणासणो ,वप्रोवज्रमयोबहि: |
मंगलाणंचसव्वेसिं ,खादिरांगारखातिका | |
स्वाहान्तंचपदंज्ञेयं ,पढमंहवइमंगलं |
वप्रोपरिवज्रमयं ,पिधानंदेहिरक्षणे | |
महाप्रभावारक्षेयं ,क्षुद्रोपद्रवनाशिनी |
परमेष्टीपदोद्भूता, कथितापूर्वसुरिभि |
यश्चैवंकुरुतेरक्षां, परमेष्टिपदै: सदा |
तस्यनस्यादभयंव्याधि-राधिश्चापीकदाचन | |
|| इतिश्रीआत्मरक्षास्तोत्रपूर्ण |